सुकड़ी सरिता
सुकड़ी सरिता
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सरिता ! सुकड़ी
न है तू इतनी बड़ी
पर तू है नदी हमारी
गंगा , नर्मदा सी प्यारी
अरावली से उद्गम
होता है लूनी में संगम
मरुधर में तेरा बहना
पावन सुखद सुहाना
तू सदानीरा तो नहीं
पर जब जब बही
सुकड़ी सुख देती हो
सुंदर तेरी तीर
मीठा तेरा नीर
नदी तट पर मजल ग्राम
तट पर सुंदर सालिगराम
तेरे किनारे हरे भरे
पंछी प्यारे कलरव करें
कृषक प्रफुल्लित
फसलें कुसुमित
हे जन ! नदी निर्मल
बहती कल कल
सदा रखे ख्याल
तो हम सदा निहाल।