बसंत की चाह
बसंत की चाह
1 min
231
हर शख्स को है
बसंत की चाह
जिंदगी की राह में
बसंत बहार ही रहे
पर ऐसी ही तमन्ना है
तो फिर
पतझड़ भी तो
आने दो
मोह ,लोभ, लालच
ईर्ष्या, कपट,को
झड़ जाने दो
पतझड़ के बाद ही तो
कोमल कोंपले फूटेगी
आनंद के फूल
खिलेंगे
बयार भी
सुखद होगी
जिंदगी खुद-ब-खुद
आनंदित होगी
