बसंत की चाह
बसंत की चाह
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हर शख्स को है
बसंत की चाह
जिंदगी की राह में
बसंत बहार ही रहे
पर ऐसी ही तमन्ना है
तो फिर
पतझड़ भी तो
आने दो
मोह ,लोभ, लालच
ईर्ष्या, कपट,को
झड़ जाने दो
पतझड़ के बाद ही तो
कोमल कोंपले फूटेगी
आनंद के फूल
खिलेंगे
बयार भी
सुखद होगी
जिंदगी खुद-ब-खुद
आनंदित होगी