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Israram Panwar

Others

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Israram Panwar

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पंछी

पंछी

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प्रभात बेला में

पंछी प्यारे गाते हैं

रवि उदय होते ही

पेड़ों से उतर आते हैं।


जल में किल्लोल कर

आनंद से नहाते हैं

दाना-पानी लेकर

बच्चों को खिलाते हैं।


समझदारी बहुत है

अपना घर बनाते हैं

टूट भी जाता घर

नव निर्माण करते हैं।


दाना-पानी लेने

दूर दूर जाते हैं

शाम होते ही सब

पेड़ पर आ जाते हैं।


अम्बर में उड़ते ही

मस्ती में रम जाते हैं

मन होता है वहां

आकर थम जाते हैं।


पंक्ति पंक्ति सुंदर

समूह गान सुनाती है

तिनका-तिनका जोड़

श्रम का ज्ञान कराती है।


प्रकृति की थाती

हर पर मनोहर है

विजन में विहग

धरती की धरोहर है।



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