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Razada *Khatoon Raaz'*

Abstract

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Razada *Khatoon Raaz'*

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सुहानी धूप

सुहानी धूप

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सारे दिन उजियारा करती

 हाय रे कितनी सस्ती धूप ..


सर्दी के दिन और कराए 

कैसी- कैसी मस्ती धूप।


रूनझुन चली हवा पतझड़ की

 पीली चादर फैलाए ...


पेड़ों की शाखों से उतरी

गुनगुन करती हंसती धूप।


अंदर-बाहर ऊपर-नीचे 

 सबके मन को महकाए ...


जब कोहरे के बाद निकलती

 बर्फीली सी कश्ती धूप।


फागुन के संग आंख मिचोली 

 खेले कैसे - कैसे खेल...


मई-जून में आंख दिखाएं

घर आंगन में बसती धूप।


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