सुहानी धूप
सुहानी धूप
सारे दिन उजियारा करती
हाय रे कितनी सस्ती धूप ..
सर्दी के दिन और कराए
कैसी- कैसी मस्ती धूप।
रूनझुन चली हवा पतझड़ की
पीली चादर फैलाए ...
पेड़ों की शाखों से उतरी
गुनगुन करती हंसती धूप।
अंदर-बाहर ऊपर-नीचे
सबके मन को महकाए ...
जब कोहरे के बाद निकलती
बर्फीली सी कश्ती धूप।
फागुन के संग आंख मिचोली
खेले कैसे - कैसे खेल...
मई-जून में आंख दिखाएं
घर आंगन में बसती धूप।
