सुहाना सफर
सुहाना सफर
सफर बहुत सुहाना था,
कभी अपना कभी बेगाना था,
दोस्त मिले जिन्हें कभी भुला न पाएँगे,
मरते दम तक दोस्ती निभाएँगे।
कुछ गलतियाँ की कुछ नादानियाँ की,
दोस्तों ने फिर भी नजरअंदाज की,
दिल रोया बहुत बार रातों में ना सोया,
लेकिन हमें गम नहीं क्यूँकी हमने कुछ नहीं खोया।
सोचते थे अपने आँसुओं को काबू में रखें,
दर्द के आलम का नशा ना चखे,
कभी रुक जाते हैं पल बिना बताये,
थम जाता है समां नजरे झुकाये।
हँसने की वजह कम नहीं है,
पर दुखों का सिलसिला भी थमा नहीं है,
चाहकर भी कुछ कर नहीं सकते,
कुछ बातों का दर्द चुपचाप सहते।
दिल के दरमियान हज़ारो बातें छुपी है,
जिसपे नजर अभी तक किसी की नहीं पड़ी है,
हर बात हम कहकर बता नहीं सकते,
हर वक़्त इशारों से भी समझा नहीं सकते।
चाहते हैं कभी वो भी उन बातों की गहराईयों को जाने,
हमारे कहे बिना चुपचाप उन्हें माने,
मालूम है ज़यादा है ये माँगना,
पर दिल का तो काम है बस कुछ भी चाहना।
वो समझ जाये तो दिल खुश है,
ना भी समझे तो यही सच शुक्रिया है,
उन्हें हर बात का, हर पल के सुहाने साथ का।
हैना...