STORYMIRROR

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

सुगम बने यह राह

सुगम बने यह राह

1 min
321


इस जग में तारीफ की होती सबकी चाह,

सदा कर्म ऐसे करें जो सुगम बने यह राह।


न्यून परिश्रम से चाहते हम इच्छित परिणाम,

परिश्रम कीजिए धैर्य धर पूर्ण होंगे सब काम।

जब तक न फल मिले कम न करिएगा उत्साह,

इस जग में तारीफ की होती सबकी चाह,

सदा कर्म ऐसे करें जो सुगम बने यह राह।


नहीं व्यथित हों चाहे कितनी लम्बी होय प्रतीक्षा,

यह है हमारे धीरज-नियोजन की कठिन परीक्षा।

परिश्रम धीरज नियोजन से मिलती है लक्षित राह ,

इस जग में तारीफ की होती सबकी चाह,

सदा कर्म ऐसे करें जो सुगम बने यह राह।


असफलता का अर्थ है कुछ कम रहा प्रयास,

सफलता चूमेगी चरण रखिए यह दृढ़ विश्वास।

असफलता से सीख ले सतत् करते रहें प्रयास,

इस जग में तारीफ की होती सबकी चाह,

सदा कर्म ऐसे करें जो सुगम बने यह राह।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract