सत्यवादी वीर तेजाजी
सत्यवादी वीर तेजाजी
सत्य की जगाई थी तेजाजी ने अलख
निभाया था आपने सर्प को दिया, वचन
गो रक्षा की ली थी,आपने तेजा शपथ
जब युद्ध से आये थे,खून से थे,लथपथ
सर्प बोला,कहां डसूं,पूरा जख़्मी है,बदन
तेजाजी ने दी थी,अपनी जीभ कोमल
यूं सत्यवादी तेजा ने निभाया था,वचन
तब से गांव-गांव में बने है,आपके थानक
सर्प दंश की आप करते,वीर तेजाजी,रक्ष
जब डसता है,कोई सर्प,देता बड़ी चुभन
तब तेरे नाम का तेजा लच्छा बांधते है,हम
जिसे कहते,तांती वो,हमारी,दवा,इंजेक्शन
आपकी प्यारी घोड़ी थी,तेजाजी लीलण
भाद्र शुक्ल दशमी को कहते,तेजादशमी
इसदिन,जगह-जगह मेला भरे,मनभावन
इसी तिथी को छोड़ा था,तूने लौकिक तन
गो रक्षा कर,दिखाया,तूने अद्भुत,पराक्रम
सत्यवादी वीरतेजाजी कहते,आपको हम
सुरसुरा में धाम है,आपका बड़ा ही पावन
जो सच्चे मन से तेजा तेरा नाम लेता,जन
उसका सर्प से खत्म हो जाता, बिल्कुल, डर
आपकी जय हो-जय हो, तेजाजी भगवन
जो निभाते वचन, वो हो जाते है,अमर जन
अच्छे काम करो, शिक्षा देता, तेजाजी-जीवन।
