स्तम्भ सा बन गये
स्तम्भ सा बन गये
1- बातें वो सुन्दर छबीली सबके हित की कर गये
छोड़ कर नैया अधर में प्रेम से वो डर गये
2- रंग रूपों से सज़ा इतिहास गर वो लिख गये
मान लो शिवम पुरानी लीकों से वो हट गये
3- आज तक हाथों से थे जिनके हाथ बँध गये
अब उन्हीं की बातों से बाँध तक हैं खुल गये
4- जिंदगी जिंदा रहे जो काम ऐसे कर गये
इतिहास के पन्नों में वो स्वर्णिम सा युग हैं बन गये
5- देख कर वीरों का साहस साथ जो उनके गये
रण में अकेले ही सदा स्तम्भ सा वो बन गये।