सरबाला
सरबाला
नारी सशक्त थी, और सदा रहेगी
ये आज़ की बाला है,
ना झुकी थी, ना झुकेगी,
परिवार हो या समाज इसने सहज संभाला है
हर कार्य दक्षता से पूर्ण किया ये ख़ुद की सरबाला है,
हर पग प्रगति करता , खोलता नईं राह है
देश हर दम आगे बढ़े.. यही इसकी चाह है।