सप्तपदी
सप्तपदी
प्रथम:-
इस ओर
उससे पूछते हुए
"कैसे हो?"
झिझक रहने लगी है
उसने अगर कहा
"ठीक नहीं हूं"
तो कर क्या पाएंगे!!
दो लफ्जों
की गुफ्तगू इतनी
आसान भी नहीं
होतीं है।
द्वितीय:-
काश!
होता कोई किस्सा
लड़कपन
की कच्ची मुहब्बत का
अपना भी।
सुना है
उसकी याद से
लबों पर लोगों के
तबस्सुम खिलने
लगती है।
कमबख्त,
कहाँ गुम थे हम,
ए दिल!
तृतीय:-
हम्म..
कैसा होता होगा
प्रेमपत्र ?
क्या होता होगा
उसमे ?
हर फरवरी
हमने यही सोच के
बिताई है!
चतुर्थ:-
व्यर्थ नहीं
काम की बात कहना
प्रेम न रहे
मुझसे
तुम सीधा सपाट
सच
कहना।
इसी सच से
'हम'
तुम और मैं
हो
सकेंगे।
पंचम:-
प्रेम
पा कर
बहते ही गए
आँसू
घबरा कर
प्रेम दूर चला
गया।
आँसू
सुख में थे
आंसू
दुख में थे।
षष्ठ: -
मैंने जाना है
बहुत सी
पीड़ाओं का उत्तर
सिर्फ
प्रेम होता है।
सिर्फ
उसका सही समय
और सही जगह होना
प्रश्न चिन्ह में
आता है।
सप्त:-
वह
घड़ी की
टिक टिक थी
या दिल
उस दिन चिटक
रहा था।
हम
खामोश थे
तुम्हे
जाना था।
