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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract

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Bhawna Kukreti Pandey

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सप्तपदी

सप्तपदी

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प्रथम:-

इस ओर

उससे पूछते हुए

"कैसे हो?"

झिझक रहने लगी है

उसने अगर कहा

"ठीक नहीं हूं"

तो कर क्या पाएंगे!!


दो लफ्जों

की गुफ्तगू इतनी

आसान भी नहीं

होतीं है।



द्वितीय:-

काश!

होता कोई किस्सा

लड़कपन

की कच्ची मुहब्बत का

अपना भी।


सुना है

उसकी याद से

लबों पर लोगों के

तबस्सुम खिलने

लगती है।


कमबख्त,

कहाँ गुम थे हम,

ए दिल!



तृतीय:-

हम्म..

कैसा होता होगा

प्रेमपत्र ?

क्या होता होगा

उसमे ?


हर फरवरी

हमने यही सोच के

बिताई है!



चतुर्थ:-

व्यर्थ नहीं

काम की बात कहना

प्रेम न रहे

मुझसे

तुम सीधा सपाट

सच

कहना।


इसी सच से

'हम'

तुम और मैं

हो

सकेंगे।



पंचम:-

प्रेम

पा कर

बहते ही गए

आँसू

घबरा कर

प्रेम दूर चला

गया।


आँसू

सुख में थे

आंसू

दुख में थे।



षष्ठ: -

मैंने जाना है

बहुत सी

पीड़ाओं का उत्तर

सिर्फ

प्रेम होता है।


सिर्फ

उसका सही समय

और सही जगह होना

प्रश्न चिन्ह में

आता है।



सप्त:-

वह

घड़ी की

टिक टिक थी

या दिल

उस दिन चिटक

रहा था।


हम

खामोश थे

तुम्हे

जाना था।


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