सपनों से आगे
सपनों से आगे
सपनों से आगे भी है एक जहान
जो हर सपने से है सुन्दर
सोच यह जानती तो है
कि यह भी है केवल एक सपना।
पर सोच पाबंदियों की मोहताज नहीं
उस की पहुँच तो है आसमानों से परे
अनन्त, असीम, विशाल
अखंड ब्रह्मांड से भी वह न डरे।
निर्भीक निकल जाती है
बिजली की रफ्तार से
क्या कम्प्यूटर ,क्या सैटिलाइट
लगा पायेगा उस से होड़ !
वह जहान जो है भेदभाव से परे
दुख दर्द से,अमीरी और ग़रीबी से
रंग , जाति, धर्म और लिंग के
लफ़ड़ों और दुराव से।
सपनों से आगे उस दुनिया की
दिखती है एक तस्वीर
एक विशाल ,कोरे काग़ज की
एक अद्भुत कोरे चीर की।
जिस पर नहीं कोई दाग़
न ही कोई कुरूप निशान
जो बुनी गई है सात मंजुल रंगों से।
सतरंगी वह इन्द्रधनुष
जो रंगों में बंटे तो आकषर्क
जो श्वेत हो जाए तोअति आकषर्क।
जिस में नहीं कल्मष
नहीं कटुता और नहीं द्वेष
एक विश्वव्यापी स्वच्छ सफ़ेद
जहां अलगाव की
नहीं गुंजाइश
जहां सपने में भी
भेदभाव पनप न पाए
जानती हूं ,यह है केवल एक सपना
पर है हर सपने से सुन्दर
बना सके इसे हर कोई अपना
यह सपना जो हर सपने से है सुन्दर।।