सफर
सफर
खामोशियाँ ने सुने अल्फ़ाज़ अनकहे,
मिले है हम रीती रिवाजों से परे ,
महसूस करके सांसो को ऐ सनम,
हो गयी है मोहब्बत खुद से इस तरह,
खूबसूरत हो गए आईने हमारे,
बयां करने लगे इशारे तुम्हारे ,
थाम के हाथ सफर में ऐ सनम,
हो गयी है आसान मंज़िल की डगर !
खामोशियाँ ने सुने अल्फ़ाज़ अनकहे,
मिले है हम रीती रिवाजों से परे ,
महसूस करके सांसो को ऐ सनम,
हो गयी है मोहब्बत खुद से इस तरह,
खूबसूरत हो गए आईने हमारे,
बयां करने लगे इशारे तुम्हारे ,
थाम के हाथ सफर में ऐ सनम,
हो गयी है आसान मंज़िल की डगर !