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Devkaran Gandas

Romance

3  

Devkaran Gandas

Romance

सोचा ना था

सोचा ना था

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जो सोचा ना था 

वो हो गया जीवन में ,

ख्वाबों में देखा था जिसे

वो बस गया मेरे मन में,

उसकी आंखें इतनी सुंदर

जैसे कोई कमल खिला हो,

होंठों पे खिली है मुस्कान मधुर सी

जैसे याचक को ईश मिला हो,

बदन है उसका संगमरमर सा

शुभ्र धवल जैसे चांद खिला हो,

पैरों में उसके पायल यूं सजी है

मनको से मिलकर बंधी माला हो,

अब शेष नहीं कुछ भी जीवन में

जो सोचा न था , बस गया मेरे मन में ।

         


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