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Leena Kheria

Abstract

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Leena Kheria

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संकीर्ण सोच

संकीर्ण सोच

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माना कि ये देश महान है

हम सब करते इसका सम्मान हैं

नारी को युगों युगों से फिर यहॉं

सहना पड़ता क्यूँ अपनान है


दुनिया बदली बदला संसार

नारी पर कम नही हुये अत्याचार

अबार्शन जैसी कुरीतियों का

अब भी बंद नही हुआ व्यापार


एक तरफ तो देवी मॉं मानकर 

समाज में नारी को जाता है पूजा

दूसरी ओर धर्म की आड़ में

फिर क्यूँ नारी को जाता है लूटा


छोटी सोच संकीर्ण मानसिकता

ऐसे अनेक वहशी दरिंदे है बैठे

अपना घर नही संभलता जिनसे

वो समाज के ठेकेदार बने बैठे


नारी भी अब सशक्त हो गयी

अब अत्याचार नही सहने वाली 

जो जल्द ही बंद न हुआ उत्पीड़न

तो वो अब चुप नही रहने वाली


ज़रा सब सोचो तनिक विचार करो

तो ये बात सबके समझ में आयेगी

कि बेटी को जब सब मारेगें तो फिर

किसी के घर बहू कहॉं से आयेगी।


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