संघर्ष का दौर
संघर्ष का दौर
सब्र रख तू थोड़ा, बहुत इम्तिहान अभी बाक़ी है।
संभल कर चल तू थोड़ा, कश्तियों में बड़े बड़े तूफ़ान अभी बाक़ी है।।
दिल में है कुछ, पूरे होने अरमान अभी वो बाक़ी है।
लहू से है बनाने, पत्थरों पर निशान अभी वो बाक़ी है।।
ढूंढ रही है जिसे ज़िंदगी, मिलना इंसान अभी वो बाक़ी है।
थोड़ा ही तो देखा देखना है, पूरा जहान अभी वो बाक़ी है।।
आया है जो जाने के लिए, चार दिन का मेहमान अभी वो बाक़ी है।
मौत के पहले वाला है देखना, शमशान अभी वो बाक़ी है।।
