संघर्ष-जीवन का सच
संघर्ष-जीवन का सच


खामोश सी इन रातों में
अनजाना इक शोर है
मन के तारो को जो खींचता
जाने किस दिशा की ओर है
यादों के खोए गलियारो से
अपने ही हाथों को थामे
चला आज फिर एक बार तो
पहचाना सा लगा हर मोड़ है
खामोश सी इन रातों में
अनजाना इक शोर है
मन के तारो को जो खींचता
जाने किस दिशा की ओर है
जा के उन गलियो में लेकिन
समझा दिल को आज यही सच
आंधीयों मे सपने टूटे हो पर
आशाओं के बादल भी घनघोर है
खामोश सी इन रातों में
अनजाना इक शोर है
मन के तारो को जो खींचता
जाने किस दिशा की ओर है