संघर्ष ही अमृत
संघर्ष ही अमृत
जीवन में बसा अमृत तत्व है,
सबको प्राप्त यह अमरत्व है।
वह पुरुषार्थी स्वयं देवत्व है,
जो जानता इसका महत्व है।।
मृत है नर वह जो डरते हैं,
जीवन में संघर्ष ना करते हैं ।
जब निर्भय होकर लड़ते हैं,
तब जीवन का आनन्द लेते हैं।।
जो भीगने से बचते रहते हैं,
वह नदी में डूबने लगते हैं।
गहरे समन्दर में जो जाते हैं ,
मोती चुन चुन बाहर लाते हैं।।
क्षमता संकटों में बल पाती है,
शक्तियाँ उभर सामने आती है।
विश्व को जीत नाम कर जाती है,
आत्मा उत्थान से विकास पाती है।।
अधिकाँश वीर कौरवों के पक्ष,
थोड़े से पांडव उनके विपक्ष।
संकट सह पांडव हुए दक्ष,
तभी जीत पाये जो आया समक्ष।।
दूसरों को देख जो बदले चाल,
लक्ष्यहीन हो भटकता बेहाल।
उसके हाथ है क्रान्ति की मशाल,
डिगे ना देख जो जगत जंजाल।।
वह सपनों में रस लेने वाले,
अपने विचारों में रमने वाले।
सबको नई राह दिखाने वाले,
नेता उसी को माने दुनिया वाले।।
सुख दुख में जिनका अन्त नहीं,
बन जाते है यहाँ अनन्त वही।
अविचल रहना सिद्धान्त सही,
समझो यहाँ है सच्चा सन्त वही।।