सलामती की दुआ
सलामती की दुआ
जन्मों की खाई थी कसमें
खुशियों के गाये थे नगमें
वक्त ने करवट बदली
तब मौसम जरा सा सर्द था
आँखों में सैलाब था
और दिल में दर्द था
अब जख्मों को गिन रहा हूँ
और नज्मों को लिख रहा हूँ
बदले मिले जख्मों की दवा कर रहा हूँ
उनके सलामती की दुआ कर रहा हूँ।
