सखी री दीप जला
सखी री दीप जला
कर सोलह शृंगार, सखी री ! दीप जला
पावन है त्यौहार सखी री ! दीप जला।
तम-विभावरी झिलमिला रही पूनम सी
ज्योतित है संसार, सखी री ! दीप जला।
भाव भावना पूर्ण अल्पना शोभित हो।
बाँधो वंदनवार, सखी री ! दीप जला।
रिद्धि-सिद्धि के सुख-समृद्धि के द्वार खुलें।
घर-घर पनपे प्यार, सखी री ! दीप जला।
पद्मवासिनी वरद लक्षमी द्वार खड़ी
कर स्वागत सत्कार, सखी री ! दीप जला।
धैर्य-ध्यान से विधि विधान से कर-पूजन
मंगल मंत्र उचार, सखी री ! दीप जला।
सतत साल भर हों प्रकाशमय जन-जन के
आँगन देहरी द्वार, सखी री ! दीप जला।
कर्म-ज्ञान के धर्म-दान के रोशन हों
हर मन में सुविचार, सखी री ! दीप जला।
चिर उजियाली शुभ दीवाली फिर लाए
अपनों के उपहार, सखी री ! दीप जला।
