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कल्पना रामानी

Abstract

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कल्पना रामानी

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सखी री दीप जला

सखी री दीप जला

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कर सोलह शृंगार, सखी री ! दीप जला

पावन है त्यौहार सखी री ! दीप जला।


तम-विभावरी झिलमिला रही पूनम सी

ज्योतित है संसार, सखी री ! दीप जला।


भाव भावना पूर्ण अल्पना शोभित हो।

बाँधो वंदनवार, सखी री ! दीप जला।


रिद्धि-सिद्धि के सुख-समृद्धि के द्वार खुलें।

घर-घर पनपे प्यार, सखी री ! दीप जला।


पद्मवासिनी वरद लक्षमी द्वार खड़ी

कर स्वागत सत्कार, सखी री ! दीप जला।


धैर्य-ध्यान से विधि विधान से कर-पूजन

मंगल मंत्र उचार, सखी री ! दीप जला।


सतत साल भर हों प्रकाशमय जन-जन के

आँगन देहरी द्वार, सखी री ! दीप जला।


कर्म-ज्ञान के धर्म-दान के रोशन हों

हर मन में सुविचार, सखी री ! दीप जला।


चिर उजियाली शुभ दीवाली फिर लाए

अपनों के उपहार, सखी री ! दीप जला। 


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