सकारात्मकता के क्षण
सकारात्मकता के क्षण
निराश क्यूँ करता है मन,
उदास क्यूँ करता है मन,
चिंता तुझे किस बात की,
प्रयत्न कर तू हर कदम।
जीवन की इस राह पर,
चला चल तू सम्भल सम्भल,
आशाओं की राह पर बढ़ा
तू तेरा हर कदम
विश्वास कर स्वयं पर तू,
अनिश्चितताओ को त्याग दे,
जीवन के इस पथ पर तू,
सब को पछाड़ दे।
मन के अंधेरे को निकाल
कर तू फेंक दे,
आशा की बस इक किरण को,
तेरे मन में तू जगह तो दे,
फिर देख तेरे जीवन को
फिर से इक बार तू,
परिवर्तन को पा जाएगा,
और सब कुछ ही बदल जायेगा।
दूसरों से तुलना ना कर,
तू स्वयं में अलग सा है,
तेरे जैसा ना कोई यहाँ,
तू सीपी के मोती सा,
तेरा जीवन ही अनमोल है।
निराश हो जब मन तेरा,
निकल बाहर और देख ज़रा,
लोगों के जीवन में
यहां संघर्ष कितना कठोर है...
संघर्ष कितना कठोर है।