सकारात्मक जीवन
सकारात्मक जीवन
मुठ्ठी में रेत समेट कर
सपनों पर कच्चे मकान
कागज की कश्ती पर
सवार चलूँ पतझड़ समान
अनूठी रे फिर भी शान
अप्रकट भाग्य बड़ी बलवान
उम्मीद रथ पर आसीन चला
सारथी बनी प्रतिज्ञा है गुमान
क्यूँ हार का शोक रहे
जब जीत भी हो सुनसान
बसंत बहे हृदय रसे
बहकते पल में बड़ा अभिमान
ना किसी की आशा फिर भी
चंचल मन हर्षे धर उफान
जीवन भर पग धरा पकड़े
शीश छुए ऊंची आसमान!
