सज संवर कर सामने यूं आया ना कीजिए....
सज संवर कर सामने यूं आया ना कीजिए....
सज संवर कर सामने यूं आया ना कीजिए....
धड़कने हमारी यूं बढ़ाया ना कीजिए.....
चेहरे से यूं जुल्फें ये हटाया ना कीजिए.....
सितम हम पर यूं ढाया ना कीजिए.....
आंखों से आंखें ये मिलाया ने कीजिए....
मासूम इस चेहरे से मुस्कुराया ना कीजिए....
मुश्किल हम पर यूं लाया ना कीजिए....
हमारे सामने बेपर्दा आया ना कीजिए.....
अपनी खुशबू से हमें महकाया ना कीजिए....
इत्र ऐसा यूं लगाया ना कीजिए....
पलकें ये धीमे से झुका कर यूं शरमाया ना कीजिए......
दिल हमारा यूं बहकाया ना कीजिए.....
सीने से हमें लगाया ना कीजिए.....
धड़कने अपनी सुना कर हमें यूं तड़पाया ना कीजिए......।
🖋️.. साहिबा की कलम से!!

