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Dr.Pratik Prabhakar

Abstract

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Dr.Pratik Prabhakar

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सितम

सितम

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तेरी यादों के 

सहारे कैसे रहे

कैसे हमारे

रिश्ते अनकहे ?


मेघ था नैनों में

चीख थी रैनों में

क्या बयाँ करे

कैसे पीड़ सहे

कैसे हमारे 

रिश्ते अनकहे ?


कोई काश रोकता

पहले मुझे टोकता

कहने को न कुछ

क्या सितम ढहे

कैसे हमारे

रिश्ते अनकहे ?


बुलाऊँ कर सलाम

दूँ रिश्ते को नाम

आओ बनाये अब

समीकरण नए।

कैसे हमारे 

रिश्ते अनकहे ?


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