जीने को इस अनोखी दुनिया में, फिर से अपने कदम बढ़ा लेते हैं। जीने को इस अनोखी दुनिया में, फिर से अपने कदम बढ़ा लेते हैं।
देह के समीकरण देह के समीकरण
कहने को न कुछ क्या सितम ढहे कैसे हमारे रिश्ते अनकहे ? कहने को न कुछ क्या सितम ढहे कैसे हमारे रिश्ते अनकहे ?
बदली में छिपा चॉद भी शरमाया होगा। बदली में छिपा चॉद भी शरमाया होगा।
किस रिश्ते को किसके साथ जोड़ कर किस रिश्ते को घटा कर क्या मिल गया किस रिश्ते को किसके साथ जोड़ कर किस रिश्ते को घटा कर क्या मिल गया
जिंदगी के पंथ पर विश्राम लेकर क्या करूंगी, क्योंकि एक पल श्वांस का रुकना मरण का जिंदगी के पंथ पर विश्राम लेकर क्या करूंगी, क्योंकि एक पल श्वांस का ...