सिस्टम
सिस्टम
हो गया लाचार तू
छिपाते नहीं छिपती तुझसे
तेरी बेबसी है,
पर तुुुुझे क्या पड़ी इन ज़िंदा लाशों की
तेरे पास तो अब भी तेरी कुर्सी है।
कितनों के चले गए
कितनों के और जाएंगे ,
जब कोई न होगा इस देश में
जनाब! आप जनता किसे बुलाएंगे।
हर कोई दूसरा तेरे पैैैर पड़ रहा
आखरी आस केे बच पाए एक एक सांस
पर लगता तुुुझे भ्रम होने लगा है ,
अरे! भगवान् मत समझ खुदको
यह बवंडर देख भगवान् भी रोने लगा है।
कब तक चुुप कराओगे
कितनो को चुप कराओगे
सत्ता साथ नहीं जाती मरकर ,
इंंसानियत दिखाओ
कहीं एक दिन अकेले ही आंसू बहाते रह जाओगे।