सिखाती है
सिखाती है


उसके आ जाने से पता नहींं,
जिन्दगी कैसे बदल गयी?
जो ख़त कभी लिखी नहीं,
आज वो मोहब्बत करना सिखाती है।
पर अफसोस है कि अब वो मेरे पास नहींं..
जो कभी मेरी थी, वो औरों के बाहों में
शरारत करना सिखाती है!!
सात जन्मों तक साथ रहेंगे
अक्सर यही कहती थी वो,
पर आज वो सारे बंधन तोड़ के,
औरों को इबादत करना सिखाती है!
खुद तो कभी निकल न सकी घर से अकेली,
पर आज वो लोगों में
दहशत से हिफाजत करना सिखाती है!!
छोटी-छोटी बातों पे
मुझे मना लिया करती थी वो,
पर मुझे देखते ही आज वो
लोगों में नफ़रत करना सिखाती है!
जो नाम मेरा सुबह शाम लिया करती थी,
आज वो मेरे नाम को किसी और से
शिकायत करना सिखाती है!!
वक़्त की मार से कोई नहींं बच पाया मिश्रा?
जिसे तू चाँद समझा,
आज वो सूरज बन के तुम्हें जलाती है!
उसके आ जाने से पता नहींं
जिन्दगी कैसे बदल गयी?
जो ख़त कभी लिखी नहीं,
आज वो मोहब्बत करना सिखाती है!!