सीढ़ी
सीढ़ी
बड़े काम की चीज होती है सीढ़ी
ऊपर चढ़ाने का काम करती है सीढ़ी
हालांकि खुद वहीं पड़ी रहती है सीढ़ी
मगर औरों को सहारा दे जाती है सीढ़ी
लोग ऊपर चढ़कर सीढ़ी को लात मार देते है
औरों के ऊपर चढ़ने का रास्ता खत्म कर देते हैं
तब अपनी दुर्दशा पर घुट घुट कर रोती है सीढ़ी
किसी के द्वारा "टूल" बनने पर टूट जाती है सीढ़ी
ऊपर चढ़ने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं लोग
अपनों से छल कपट कर आगे बढ़ जाते हैं लोग
खून के रिश्तों का कत्ल करने में झिझकते नहीं
विश्वास का गला घोंटकर ऊपर चढ़ जाते हैं लोग
कोई रिश्ते नातों को सीढ़ी बनाता है
कोई रंग रूप यौवन को सीढ़ी बनाता है
कोई भावनाओं को सीढ़ी बनाकर के
आसमान की बुलंदियों पर चढ़ जाता है
कोई चांद से चेहरे को ही सीढ़ी बनाता है
कोई नशीली मुस्कान से दिल में उतर जाता है
कोई घनेरी जुल्फों के जाल में उलझ जाता है
कोई रसीली बातों के भंवर में गोते लगाता है
मंजिल तक पहुंचने का रास्ता सीढ़ी से जाता है
कोई ज्ञान को तो कोई बुद्धि को सीढ़ी बनाता है
कोई मेहनत से तो कोई छल से मुकाम पाता है
भोलाभाला आदमी सबके लिए सीढ़ी बन जाता है
अपने बलबूते पे आगे बढ़ना ही बहादुरी है
आगे बढ़ने के लिए खुद पर विश्वास जरूरी है
खुद को सीढ़ी बनने से बचाना भी एक कला है
जिंदगी में ये सबक याद रखना बहुत जरूरी है