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प्रवीन शर्मा

Abstract

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प्रवीन शर्मा

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शुद्ध व्यापार

शुद्ध व्यापार

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ये मंडी है मंडी, यहाँ सब बिकते है

भइया बोलकर ईमान कहाँ टिकते है

कसम खाने को तो बच्चों की कसम खा जाइये बाजार है,

सच झूठ के कदमों में झुकते है

अम्बार है तरकीबों का, जुगाड़ लगते है हर उम्र के लिए

हर रंग के मुखौटे तैयार मिलते है

मंडी में मर्ज का इलाज मरीज की हैसियत पर है

फिर मरीज मर्ज को और वैद्य इलाज चुनते है


यहाँ हर प्रकार के बच्चों को एक रेस में दौड़ाते है

उनके माँ बाप आप ही बच्चों पर पैसा लगाते है

'अहमियत पैसे की' ये पाठ महीने की एक को आता है

बाकी समय तोते यहाँ बच्चों को बोलना सिखाते है

मंडी में जिस्मों की दुकान अभी ताजी ताजी आई है

इसमें जिस्म खोलने और बांधने दोनों में कमाई है

छूट है, ऑफर है और फ्री डिलीवरी भी घर तक

कैसे धंधा बढ़ेगा मंडी में उचित दर में बताते है

बोली ठीक लगे तो ताजे ताजे दूल्हे उपलब्ध रहते है

भगवान भी दर्शन अब मनी आर्डर पर देते है

कल भी देख सकते है आज,

अभी इसी वक्त बीमे की दुकान पर खुद की मौत के फायदे गिनाते है

उपरोक्त कोई आरोप नहीं, कृपया अन्यथा न ले

इसे मंडीबिद इसे शुद्ध और केवल शुद्ध व्यापार कहते है


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