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सुरशक्ति गुप्ता

Abstract

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सुरशक्ति गुप्ता

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श्रमिक दिवस

श्रमिक दिवस

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मजदूरों का अपना कोई ज़हान नहीं होता,

पर होता है तो सिर्फ बेबसी एवं लाचारी।

उनके मेहनत की कमाई पर,

डाका डाल देते हैं भ्रष्टाचारी।।

दो वक्त की रोटी के लिए वह,

अनगिनत समय बिताता है।

इन्हीं दुखों को सहते हुए एक दिन,

कब्र में दफन हो जाता है।।

मजदूरों के इन हालात को,

आंखें पलटकर देखिए।

दुर्दशा मजदूर की

मजदूर बनकर देखिए।।।

         " विश्व मजदूर दिवस पर श्रमिको को समर्पित"


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