श्रीक्षेत्ररथजात्रा
श्रीक्षेत्ररथजात्रा
पूजक सेवक हुए जो विभ्रांत,
गुहार सुने श्रीजगन्नाथ श्रीमंत,
भक्तों के आर्तनाद किए शांत,
शीघ्र अंत किए समस्त चक्रांत |१|
पूरी श्रीक्षेत्र पुरुषोत्तम की लीला है अनंत,
उनके भव्य रथयात्रा के हैं अपने सिद्धांत,
चलते रथ का संदर्शन मन को करे प्रशांत,
शंखक्षेत्र का जनपथ बने सर्वजनों से जीवंत |२|
रथजात्रा के परमानन्द में नहीं है कोई सीमांत,
ये दिव्यदृश्य से पुरी लगे एक अलौकिक प्रांत,
संक्रामक जीवाणु नहीं कर सकते हैं आक्रांत,
राजाधिराजन चक्रनयन सदा हैं अत्यंत विक्रांत |३|
