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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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श्रीक्षेत्ररथजात्रा

श्रीक्षेत्ररथजात्रा

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पूजक सेवक हुए जो विभ्रांत,

गुहार सुने श्रीजगन्नाथ श्रीमंत,

भक्तों के आर्तनाद किए शांत,

शीघ्र अंत किए समस्त चक्रांत |१|


पूरी श्रीक्षेत्र पुरुषोत्तम की लीला है अनंत,

उनके भव्य रथयात्रा के हैं अपने सिद्धांत,

चलते रथ का संदर्शन मन को करे प्रशांत,

शंखक्षेत्र का जनपथ बने सर्वजनों से जीवंत |२|


रथजात्रा के परमानन्द में नहीं है कोई सीमांत,

ये दिव्यदृश्य से पुरी लगे एक अलौकिक प्रांत,

संक्रामक जीवाणु नहीं कर सकते हैं आक्रांत,

राजाधिराजन चक्रनयन सदा हैं अत्यंत विक्रांत |३|



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