शक
शक
शक को बेशक़ तू बेघर कर दे
खुद के हाथों से चादर तू ढक ले
ये फिझुल का वहम तेरा,
कभी न होने देगा सवेरा,तेरा
इस शक के बाट को तू साखी
विश्वास के तराजू में पकड़ ले
जितना ज्यादा शक होगा,
उतना विश्वास कमजोर होगा,
इस असत्य की घनी निशा में,
सत्य के चन्द्र दर्शन कर ले
ये बेमतलब का तेरा शक,
कहीं खत्म न कर दे तेरा हक,
इस शक को एकपल भी साखी,
तू अपने दिल मे घर मत दे
क़भी-क़भी जो दिखता है
वो भी सत्य नही होता है
शक से पहले तू ये विचार कर ले
सोने से महंगा हीरा कहीं तू खो न दे
शक का कभी कोई इलाज नहीं होता है
विश्वाश से ही ख़ुदा का अस्तित्व होता है
शक के सांप को
प्यार की बीन से
घर के बाहर तू कर दे
प्यार ही शक की दवा है
इसके आगे तो ये शक भी
तुरन्त सू सू कर दे।