शिक्षक
शिक्षक


जो जीवन में किसी को
अच्छी सीख दे
सही शिक्षा दे
उसका ठीक मार्गदर्शन करे
वह उसके जीवन में
एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा और
देखा जाये तो सही अर्थों में
एक शिक्षक ही कहलायेगा
एक तो यह होता है कि
कोई हमें शिक्षा प्रदान करता है
दूसरी यह कि हम स्वयं भी
शिक्षा को विभिन्न स्रोतों से ग्रहण कर सकते हैं
जैसे कि प्रकृति एक बहुत बड़ा
शिक्षा का केन्द्र है
प्रकृति से हम आचार, व्यवहार,
संयम, सहनशीलता, आत्मसमर्पण जैसे
न जाने कितने ही गुणों का
विकास अपने भीतर कर सकते हैं
चांद से शीतलता
सूर्य से गरिमा
पृथ्वी से दयालुता
फूलों से कोमलता
पेड़ पौधों से सरलता
नदियों से निरंतरता
पहाड़ों से स्थिरता
पशुओं से एकाग्रता आदि
न जाने कितना कुछ सीख
सकते है
ं
हम अपने चारों तरफ घटित होते
घटनाक्रमों से हर समय
कुछ न कुछ सीख सकते हैं
एक बालक से
हम कितना कुछ अपने भीतर
ग्रहण कर सकते हैं
मेहनत करो और खेलो भी
तनाव लिए बिना
एक प्राकृतिक व्यवहार करो
हंसी आये तो हंसो
रोना आये तो रोओ भी
सबसे समान व्यवहार करो
सबको प्यार करो
यह सब पाठ हमें बच्चे ही तो पढ़ाते हैं
बेजान वस्तुयें भी
हमें बिना बोले इशारा करती हैं कि
एक बार किसी को अपनाओ तो
मरते दम तक उसका साथ निभाओ
मां, पिता, प्रकृति, जीव जंतु,
किताबें, वस्तुयें आदि यह सभी
शिक्षक हैं
अगर हम गौर से देखें तो
शिक्षा ग्रहण करने की प्रक्रिया
कभी समाप्त नहीं होती
शिक्षा को हर समय ग्रहण किया जा
सकता है बशर्ते
किसी में सीखने की
प्रबल इच्छा हो तो।