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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

शीर्षक:जज्बात पत्थर के

शीर्षक:जज्बात पत्थर के

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हाँ मैं हूँ पत्थर दिल

कठोर सतह वैसे ही मानो पाषाण हूँ

बहुत परीक्षाओं को झेल यहाँ तक आई हूँ

मैं नारी हूँ इतिहास में भी अग्नि परीक्षा देती आई हूँ

नहीं तोड़ सकते हो मुझे कमजोर लकड़ी सी नहीं हूँ


हाँ मैं हूँ पत्थर दिल

पानी की धार भी निशान मात्र ही कर पाती हैं

पौधे भी उग नहीं सकते मेरी कठोरता सी साथ पर

मन चाही ठोकर नहीं मार सकते हो मुझे

अब तक सहा अब नहीं दे पाओगे बेवजह सजा


हाँ मैं हूँ पत्थर दिल

पर्वत भी आकार लिए खड़ा है सीना तान

वैसे ही समझो मुझे पत्थर सी कठोर

बहुत कुछ सह कर कह पाई यह बात

आप सब के व्यवहार से ही तो बन पाई


हाँ मैं हूँ पत्थर दिल

पत्थर सी हो गई कठोर बन गई हूँ

समाज के ताने सुन मैं मजबूत हो गई हूँ

दबाव, प्रभाव बहुत देखा जीवन भर

अब गलत नहीं सहूंगी कुछ भी गलत।



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