शीर्षक - जगमग दीपों से रौशन
शीर्षक - जगमग दीपों से रौशन
जगमग दीपों से रौशन, फिर हुआ अयोध्या धाम।
आओ मिलकर बोलो यारों, जय जय सीताराम।
जय जय सीताराम बोलो, जय जय सीताराम।
अवध की माटी ने देखा है, राम के नंगे पावों को।
कैकेईं के छल को देखा, दशरथजी की आहों को।
अवध की माटी में बीता है, बचपन मेरे भगवन का।
अवध की माटी ने देखा है, राम विरह के घावों को।
अवध की माटी अमर हो गईं, सुन कर प्रभु का नाम।
जय जय सीताराम बोलो, जय जय सीताराम।
उर्मिला का बलिदान भी देखा, देखा लखन समर्थन को।
माताओं के प्रेम को देखा, देखा भरत समर्पण को।
देखा माटी ने भगवन को, पित्र मोह में रोते भी।
अवध की माटी ने देखा, जंगल में पिता के तर्पण को।
अवध की माटी ने देखा है, बनते राजा राम।
जय जय सीताराम बोलो, जय जय सीताराम।
राज तिलक हुआ राम लला का, संग में सीता माईं।
जगमग दीपों से रौशन जग, देता उन्हें बधाईं।
सिंहासन पर देख राम को, सबका मन हर्षाया।
झूम उठीं पूरी दुनियां फिर, घर-घर खुशियां छाईं।
राम राज्य आ गया है भईंया, बनेंगे बिगड़े काम।
जय जय सीताराम बोलो, जय जय सीताराम।
