शीर्षक - शहीद दिवस मनाते हैं।
शीर्षक - शहीद दिवस मनाते हैं।
जा बाजार से ला गुलाब मैं भी तुमको दे सकता हूँ।
प्रेम भरी दो बातें तुमसे बैठ कहीं कर सकता हूँ।
पर तुम्हीं बताओ क्या अच्छा है इस दिन को
प्रेम दिवस कहना।
क्या तुम भी गलत समझती हो इस दिन को
शहीद दिवस कहना।
चौदह फरवरी दो हजार उन्नीस तो याद तुम्हें होगी।
पुलवामा हमले में कई जिन्दगी बरबाद हुईं होगी।
जो शहीद हो गये है उनकी बेवाओं को याद करो।
बच्चे उनके फले फूले ये ईश्वर से फरियाद करो।
दस रुपये का एक गुलाब कुछ क्या तुमको दे सकता है।
बेवाओं और अनाथों का तुम कहो क्या दर्द हर सकता है।
लाना ही है यदि गुलाब तो चलो साथ में लाते हैं।
हम तुम दोनों मिलकर उसको शहीदों पर चढ़ाते है।
प्रतिदिन होता प्रेम दिवस यह दुनिया को समझाते हैं।
चलो ना आज मिलकर हम दोनों शहीद दिवस मनाते हैं।
