शीर्षक-हयात
शीर्षक-हयात
जीवन को समझना मेरे बस की बात नहीं
उन्हें भूलना मुनासिब हो ऐसे हालात नहीं
गम ए हयात हद से गुजर जाये
इश्क की कसक लबों को सी जाये
उनका नाम जमाना ले गर
दिल में हल्की सी हलचल मचने लगे
आँखों से मोहब्बत का सरूर दिखने लगे
छलकते जाम का नशा हो जाये
ख्याल छूकर हमें गुजरने लगे
जिंदगी में गुलाबी शाम हो जाये
नजर से नजर मिलने लगे
बिन कहे बिन सुने गुफ्तगू तमाम हो जाये।।

