शौक
शौक
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चलो बदलते हैं हम
कुछ कहावतों को।
बूढ़े भजन ही क्यों करें
बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम क्यों न पहनें
सठियाना बुरा क्यों है
खिज़ाब की उम्र पर हँसी क्यों आए
जानते हो
हमारे शौक पूरे करवाने को
अपने शौक मारे हैं इन्होंने।
तो क्यों नहीं पूरे करवाते हम
उनके को शौक
हाथों में हाथ लेकर