शादी के लड्डू
शादी के लड्डू
शादी से पहले हुआ करता था मैं मालामाल,
पर शादी के बाद की हालत जैसे कोई कंगाल।
सोचा शादी के लड्डू खाके पछताए अच्छा होगा,
क्या पता था इसका स्वाद भी इतना कच्चा होगा।
पहले थाली में खाकर बस छोड़ आता था,
और अब थाली भी मैं ही धोकर आता हूं।
झाड़ू, कपड़े व बर्तन सब काम करवाती है,
बीवी से अच्छा तो कामवाली अब भाती है।
अरे कम से कम वह काम में हाथ बटाती है,
पर बीवी आ जाए तो मेरा चैन चुरा ले जाती है।
पहले कहती थी तुम्हारा नींद और चैन चुराना है,
मुझे क्या पता था यही वह सारा बहाना है।
पड़ोसी दोस्त से पूछा मैंने कि तेरा हाल क्या है,
कहने लगा भाई वहीं जो तेरा हाल हुआ है।
भगवान से पूछा मैंने आखिर मेरी खता क्या है ?
बता दो इस मुसीबत से निकलने का पता क्या है ?
कहने लगे कि नहीं कर सकता हूँ कुछ इस बार,
क्योंकि तूने खुद कहा था कि आ बैल मुझे मार।