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Shyam Kunvar Bharti

Inspirational

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Shyam Kunvar Bharti

Inspirational

सदा बहार के जंगल

सदा बहार के जंगल

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कविता- सदा बहार के जंगल

पैर रख कर सिर पर किसी के

चढ़ जाओगे ऊंचाइयों पर जरूर

गिरोगे जब जमीन पर ही मगर


सिर की जगह कंधा का

सहारा लिया होता गिरते गर

तुम कोई थाम लिया होता

देखो सदाबहार के वनो को


हर पेड़ लंबा होता है

आसमान की ऊंचाइयों को

छु रहा होता है

मगर कोई किसी को दबाता नहीं


खींचकर पैर जमीन गिराता नहीं

आगे निकलने की होड़ लगाते हैं

होड़ होड़ मे सारा जंगल

सदाबहार बन जाता है


एक दूसरे को साथ लिए

सबसे लंबा और ऊंचा हो जाता है

हम तो इंसान है पेड़ नहीं

एक दो पेड़ नहीं


सारी दुनिया को संग लेकर

ऊंचाइयों को छू लेंगे

एक दूसरे के कंधे से कंधे मिलाकर

बिना किसी को सताये

बिना किसी को रुलाये

हमें सदा संग चलना है।


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