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Mukesh Kumar Modi

Inspirational

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Mukesh Kumar Modi

Inspirational

सच्ची आजादी

सच्ची आजादी

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पांच विकारों से जब तक नहीं पाएंगे आजादी

रोक ना पाएंगे हम तब तक भारत की बर्बादी


जब से हम सब हुए हैं पांच विकारों के गुलाम

तब से हमारी दैवी संस्कृति हो रही है बदनाम


छल कपट को बनाया हमने उन्नति का आधार

कर्ज में डूब गया है भारत धन ले लेकर उधार


मन बुद्धि की स्वच्छता कितनी हो गई मलीन

स्वार्थ फैला नस नस में जैसे मिट्टी कण महीन


लोभ लालच का कीड़ा फैला रहा है भ्रष्टाचार

इक दूजे से करने लगे सब स्वार्थयुक्त व्यवहार


अपने लालच के वश भूल गए देश का विकास

करनी मुश्किल हो रही भारत माँ की पूरी आस


देखो हमारे मन के विचार हो गए इतने संकीर्ण

अपने स्वार्थवश करते अपनों का हृदय विदीर्ण


दुःख देकर किसी को मन कभी नहीं पछताता

दिल हुए पत्थर के इसलिए रोना भी नहीं आता


धोखा देकर अपनों को ख़ुशी का अनुभव करते

पाप करते समय हम भगवान से भी नहीं डरते


किए जा रहे पापकर्म जैसे हो अपना अधिकार

भ्रष्ट हो गए हैं इतने कि भूल गए सब शिष्टाचार


कैसे पाएं अपनी संस्कृति की खोई हुई प्रतिष्ठा

कैसे जागे अपने मन में इक दूजे के प्रति निष्ठा


नहीं रहेंगे सुख सदा जो पाए हों छल कपट से

गुम होंगे वो ऐसे जैसे दृश्य हटता है चित्रपट से


एक ही बात ज्ञान की है समझो इसे गहराई से

सच्चा सुख मिलेगा केवल दिल की सच्चाई से


सप्त गुणों से सजी हुई हम आत्माएं सतोप्रधान

यह स्मृति जगाकर हो जाएं विकारों से अनजान


विकारमुक्त जीवन बनाता है सुख शांति सम्पन्न

दुःख सारे मिट जाते खुशियां होती रहती उत्पन्न


ना सताए जब विकारी दुनिया का कोई संस्कार

सबका हितकारी हो जब अपना हर एक विचार


पाने की आशाएं छोड़ करते जाएं सबको प्यार

सम्पूर्ण पवित्रता अपनाकर मिटाएं सभी विकार


विकारी जीवन से जब पूरी मुक्ति मिल जाएगी

सच्चे अर्थों में वही हमारी आजादी कहलाएगी!



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