सच्चे साथी
सच्चे साथी
अपनी मंज़िल पाने के लिए निकल पड़ा हूँ मैं
पता है मुझे रास्ते पर कांटे भी मिलेंगे और फूल भी
जो दिखेंगे सामने से फूल मगर अंदर होगे कांटे भरे पड़े
राह आसन नहीं होगी उतार-चढ़ाव भी होगे
कोई दोस्त बनेंगे तो कोई दुश्मन
कोई साथी दोस्त बनने का ढोंग करेंगे तोह कोई होगे जीवन के साथी
हमें राह में प्यार भी हो जाएगा
मगर वोह साथी भी थोड़े वक़्त के बाद अपनी राह बदल देंगे
जिंदगी यूं ही चलती है चलते चलते मंज़िल हमें मिल जाएगी
मगर जो रह जाएगी आपके साथ शुरू से अंत तक वोह रहेंगे आपके सच्चे साथी
जो आपके साथ किसी भी मतलब से नहीं रुके
मगर वोह है आपके साथ क्युकी वोह आपसे प्यार करते है
और वोह बनते है हमारे सच्चे साथी