सच का दामन थाम ले तू
सच का दामन थाम ले तू
झूट का दामन थाम के तू,
कहां तक चलता जायेगा,
खूब कहना था बुज़ुर्गो का,
जल्द ही ठोकर खायेगा।
खुशी से दौड़ता जायेगा,
परेशान तू लौट के आयेगा,
न दोस्त , ना कोई अपना होगा,
अफ़सोस के तु अकेला होगा।
पर ग़म ना कर, ये अंत नहीं,
देर सही पर अंधेर नहीं,
शुरुआत यही से अब कर ले त ,
लौट के फिर आजा तू,
सच का दामन थाम ले तू।