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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

सब ख़्वाब होंगे पूरे है

सब ख़्वाब होंगे पूरे है

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तमन्ना भी अधूरी हैं,ख़्वाब भी अधूरे हैं

ये सब तब यहां पर होंगे साखी पूरे हैं

जब कर्म की पतवार चलेगी दरिया में,

तब ही मिलेंगे तुझे साहिल के हीरे हैं

खिलेंगे मंजिल के कमल फूल नूरे हैं

सब ख़्वाब होंगे तेरे फ़लक के पूरे हैं

तू बस चलता चल,कहीं पे तू ना रुक,

सतत चलने से पथ पे निशाँ होंगे पूरे हैं

तू हार मत,दर्द से हो इतना लाचार मत

आग में तपने से बनेगा तू स्वर्ण सिंदूरे हैं

सब ख़्वाब होंगे तेरे फ़लक के पूरे हैं

तू भी बनगा एकदिन इतिहास पुरुष,

हिमालय की चोटी सा होगा तंदुरुस्त,

कर्म कर तू साखी जग में कोहिनूरे हैं

बन जग के शूलों में फूल गुलाब पूरे हैं

सब ख़्वाब होंगे तेरे फ़लक के पूरे हैं।



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