सांसों का रिश्ता
सांसों का रिश्ता
प्रकृति से रिश्ता तो जन्म के साथ ही जुड़ जाता है
पहली सांस के साथ ही कुदरत का ऋण हम पर चढ़ जाता है
हम साल दर साल गुजारते चले जाते हैं
कभी इस अनमोल तोहफे के लिए एहसानमंद हो
पाते हैं
सांसों की डोर कितनी कीमती है किसी डूबते हुए से
पूछो जरा
अस्पताल के बिस्तर पर पडे उस मरीज से पूछो भला
सांसो की गति चलती रहे वहाँ जब इसके लिए पैसा
लिया जाता
तब कुदरत की इस अनमोल देन का महत्तव समझ आता है
ये जो दिल धड़क रहा सीने में प्रकृति ने प्रेम पैगाम भेजा
है कि तुम्हारी सांसें चलती रहें अबाध गति से।