"सांसे लूटा दी,भारती को"
"सांसे लूटा दी,भारती को"
कल रक्षाबंधन से पूर्व घाटी को
सूनी छोड़ गये,अपनी कलाई को
नमन चारों ही फौजी भाईयो को
सांसे ही लूटा दी,मां भारती को
आतंकवादियों की मुड़भेड़ में
सूनी कर गये,मां की गोदी को
कोटि प्रणाम,उनकी बहादुरी को
धूल चटा दी,आतंकवादियों को
फौजियों के कारण देश टिका है,
वंदन करे,इनकी चरण माटी को
कल रक्षाबंधन से पूर्व घाटी को
सूनी छोड़ गये,अपनी कलाई को
आंसुओ से उन्हें क्या याद करूं?
सांस से याद करूं,फौजी भाई को
उन्हें छूनेवाली हवा,मात्र छूने से
उबाल आ जाता है,तन माटी को
यह देश सदा उनका ऋणी रहेगा,
जो तिरंगे में लिपट आये,रात्रि को
कोटि वंदन,हर शहीद की लाठी को
जो सर्वस्व दे गये,मां भारती को
कल रक्षाबंधन से पूर्व घाटी को
सूनी छोड़ गये,अपनी कलाई को
उनकी छवि सदैव जिंदा रहेगी
वो प्राण फूंकती,पत्थर माटी को
बहिनो की वो राखी ही तोड़ दी
पत्नी की वो बिंदिया ही तोड़ दी
पर सांसे सौंप दी,इस माटी को
तोड़ी,देश विरुद्ध उठी,लाठी को
कल रक्षाबंधन से पूर्व घाटी को
सूनी छोड़ गये,अपनी कलाई को
प्रणाम, शहीद फौजी भाईयों को
अपनी सांसें लूटा दी,भारती को।