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Ajay Gupta

Abstract

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Ajay Gupta

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सांझे सपने

सांझे सपने

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हाँ, कमाने लगी हूँ मैं

माना, मेरी अपनी सैलरी है

और तुम्हारी अपनी

पर मैं जानती हूँ

और मुझे पता है कि

तुम भी मानते हो।


कि ये बच्चे

सिर्फ तुम्हारे या मेरे नहीं

हमारे हैं।

ये घर हमारा है।

इनकी जिम्मेदारियां

हमारी सांझी हैं।


साथ-साथ करेंगें दोनों

इन सब का निर्वहन,

साथ साथ बसायेंगे, सजायेंगे

अपने सपनों की दुनिया।

फिर क्या फ़र्क़ पड़ता है

कि पैसा कौन लाया

और किसके बटुए में रखा।


आखिर मैं तुम्हारी अर्धांगिनी हूँ

और तुम मेरे जीवनसाथी।


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