रविवार की सुबह
रविवार की सुबह


रविवार की सुखद सुबह हुई
अलसाई सी है मगर आज भोर !
उठो !जागो ! मन में मच रहा शोर !
सप्ताह भर के काम है निपटाने
क्यों बिस्तर छोड़ने में हो रही देर !
शीत ऋतु ने भले अपनी पांव पसारे
रजाई कंबल को अब करो किनारे !
देखो बाहर कितने सुंदर है नज़ारे
भोर की लालिमा, बगिया में आ पुकारे !
ओस से नहाई प्रकृति के रूप निहारे !
झटपट मुँह हाथ धो कर आओ,
दांत किटकिटाए मगर मत घबराओ
गर्म चाय की प्याली सबको पकड़ाओ
आज नहीं है भगमभाग करने का दिन,
संग में मिल बैठकर चुस्की लगाओ !
रविवार की सुबह संग कुछ समय बिताओ
सुख दुख के किस्से मिलकर बतियाओ।
सबकी रुचि व जायका का नाश्ता लगाओ
संग साथ में पूरा परिवार मिलकर खाओ।
खुशी का दिन है कुछ पल मौज मनाओ !