रूहानियत...
रूहानियत...
यह इश्क है जनाब एकबार होता है
ज़ब होता है तो बेशुमार होता है
गर निगाहेँ उठे तो सवाल होता है
झुकी हुई नजर का मतलब इकरार होता है
वक़्त का क्या है... गौर फरमाए
वक़्त का क्या है
बदलना उसकी फ़ितरत है
एक प्यार ही है जो बरकरार होता है
मुहोब्बत भले ही गुनाह ना हो
काफ़ी सम्भल के करनी पड़ती है
क्यूंकि हर शख्स यहाँ पहरेदार होता है
रुसवाई सनम की सही ना जाये
गुस्ताख़ कोई वी हो
इंसानों की अदालत में
सच्चा आशिक ही गुनहगार होता है
यह एक ऐसी कहानी है
जो सुनी नहीं जाती
कही नहीं जाती
बस महसूस किया जाये
उसका हर शब्द... हर अल्फाज़
मालिक (god) का उदगार (वचन ) होता है
एक ऐसा मर्ज़ जो गर लग जाये तो
दिल ता -उम्र उस हुस्न -ए -जाना की
एक मुस्कान का मोहताज
और इश्क़ कुबूल करने वाले का कर्ज़दार होता है।

