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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational

रन में शर सी हुंकार दे

रन में शर सी हुंकार दे

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रण में बड़ा है तू बल लिए खड़ा है

रण में तू जाके आज शेर सा दहाड़ दे

धरातल लाल है या के लाल लाल से 

अपने ही खून से दूर ऋण को उतार दे


झुकने न पाए तेरी ये आन का तिरंगा

खून खून कतरा भूमि पे भी डाल दे

आन बान शान सब तेरे ही हाथ है

दुश्मन का धड़ तू धड़ से उतार दे !


बढ़ते कदम तेरे रुकने न पाए अब

भीम सा बाहुबल दुश्मन को उखाड़ दे

अर्जुन के बाण बन गांडीव की मार बन

सो सो के बीच में तू रथ को ही बाड़ दे


त्रिलोकी बैठा तेरे रथ को चला रहा

डर किस बात का तू शंख की हुंकार दे

गांडीव उठाकर तू प्रत्यंचा खींच जरा 

 दुश्मन के शीश शीश शीश को उतार दे !


आगे बढ़ जरा थोड़ी दूर और चल

चल चल कहीं मंजिल को पार दे

मिट्टी उठाकर तु माथे को लगा जरा

आज धरातल के भी कर्ज को उतार दे


की झुकने ना पाए शीश भारत मां के लाल का

अपनी जवानी का भारत को बलिदान दे

मा भारती की कसम सीमा पार तू जाएगा 

इंच इंच भूमि मेे तिरंगे को भी गाड़ दे !


जवानी में कुछ काम ऐसा तू कर जा

भीम सा बाहुबल अपने में उतार दे

तार दे बुराइयों को अपने ही सर से

देश भक्ति में तू अपना ही नाम दें


की शेखर बिस्मिल सा जोबन तेरा हो

सुभाष सा तू सहासी जेल को उखाड़ दे

बचपन तेरा हो दसरथ के लाल जैसा

जो वन मेे जाके शेर के जबड़े को पाड दे।


अपने ही गांव की मिट्टी का लाल हूं 

हर एक मिट्टी वालों से गहरा मेरा नाता है

बचपन से पढ़ी मैने धन सिंह की कहानियां

जो अंग्रेजों के काफिले में अकेला बढ़ जाता है


धन नहीं प्रेम नहीं प्राण की ना चिंता मुझे

मुझको तो राष्ट्र पर गीत गाना आता है

बिस्मिल व शेखर यहां मिट्टी को महान कर गए

मुझको भी भारत पर बलिदान होना आता है


यहां की मिट्टी लाल है सारे मिलकर बोलो

पूरे विश्व की एक ही भारत माता है।


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