रिश्तों में दूरियाँ
रिश्तों में दूरियाँ
आजकल के रिश्तो में देखा जाए तो
अब वह चाहत बची ही नहीं है,
पहले तो सुकून मिलता था बात करके
अब तो रिश्तो में राहत भी नहीं है,
आजकल थोड़ा वक्त क्या मिलता है
लोग बस फोन पर व्यस्त हो जाते हैं,
रिश्तों को नजरअंदाज करते करते
बाहर की दुनियाँ में मस्त हो जाते हैं।
अब रिश्ते बनने में वक्त नहीं लगता
और जाने कब टूट जाए पता नहीं,
गलतियां तो मानना बहुत दूर की बात
गुनाहों में रिश्ते हो चुके हैं लापता कहीं,
वक्त के साथ बदलना सीखो फिर
रिश्तो को बदलना जरूरी नहीं है,
नए जमाने के अंदाज भी सीखो
ये रिश्तों के लिए मजबूरी नहीं है।
जब सब कुछ अपने हाथ में हो तो
तो रिश्तों की परवाह नहीं होती,
जब उनकी कद्र समझ आती है तो
हाथ से ये वक्त भी निकल जाता है,
इसलिए कोई रूठ जाए तुमसे तो
उसे लाख कोशिश कर के मनाओ,
छोटे हो या बड़े फर्क नहीं पड़ता
अगर हो सके तो सामने झुक जाओ।
थोड़ा वक्त निकालें उनके लिए भी
जो तुम्हारे लिए बहुत खास हैं,
कब तक खामोशियों में कैद रखोगे
खुलकर बता दो छुपा जो एहसास हैं,
क्योंकि आखिरी दम अकेले तोड़ना है
तुम्हारा धन दौलत यहीं छूट जाएगा,
कहने को तो करोड़ों होंगे दुनिया में
पर कोई अपना ही जनाजे में आएगा।